स्वतंत्रता दिवस

सभी पाठको को 70वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें। इस 15 अगस्त को हमारे देश, भारत- जो की अब इंडिया बन चूका हे, को आजाद हुए 70 साल हो जायेंगे। परन्तु आज इंडिया को जरूरत हे स्वतंत्रता का मतलब समझने की। क्या हम पूर्ण या परिपक्व रूप से आजाद हो गये हे? बात तो सोचने की ही हे।

बचपन से देखा, पढ़ा और सुना हे की मेरा भारत महान। पर अब समय आ गया हे की इस महानता को परिभाषित किया जाये। किसी से भी पूछो की भारत महान क्यूँ हे? तो ज्यादातर मामलो में जवाब देने वाला सोच में पड़ जाता हे। मतलब आपको अपने देश की खूबियाँ बताने के लिए सोचना पड़ रहा हे। क्या यही हमारी जन्मभूमि की महानता का मूल्य हे की हमे गहन चिंतन करके जवाब देना पड़ रहा हे। जरा खुद सोचना और आपके जवाब कमेंट सेक्शन में देना।

आजादी के मायने

जब भारतवर्ष आजाद नहीं हुआ था तब आजादी के मायने अलग थे। तब सिर पर गैरो के हुकुम का बोझ था। इस बोझ से छुटकारा पाना ही उस समय आजादी का मतलब था। फिर हम आजाद हो गये, किससे, इस गैरो वालो बोझ से। और फिर हमने खुद का, मतलब स्व का एक तंत्र बनाया। और उसको नाम दिया स्वतंत्र। माने सामाज को एक सुव्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए खुद के द्वारा खुद के लिए बनाया गया एक सिस्टम या तंत्र।

आजादी के समय इसके मायने अलग थे। अंग्रेजों से आजादी के बाद हमने एक टीम बनाई और सामाज हर पहलू को ध्यान में रख कर एक तंत्र, सविंधान, बनाया। और पूर्ण रूप से इसपर निर्भर हो गये। आज आजादी के मायने कुछ और ही हो गये हें। अभी कुछ समय से अनेक प्रकार की आजादी की बाते की जा रही हे। किसी को इस देश में रहना सुरक्षित नहीं लगता। तो कुछ को इस देश में अपना भविष्य नहीं दिखता। जबकि दुसरो देशो की माने तो भारत आज के समय में विश्व से सबसे बड़ा बाजार हे। हर कोई यहाँ आकर व्यापार करना चाहता हें। बस यहाँ रहने वाले को ही भारत अच्छा नहीं लगता।

आज आजादी के मायने खुद को पूर्ण रूप से दुसरो से अलग देखना हे। हर किसी ने अपनी आजादी की परिभाषा खुद बना रखी हे। किसी को सिस्टम से आजादी चाहिए तो किसी को पता नहीं किस चीजो की वजह से यहाँ रहना सुरक्षित नहीं लगता।

शिक्षा और आजादी

आज भारत में शिक्षा तो हे परन्तु उसको अपने जीवन में कोई नहीं उतारता। शिक्षा का असली मतलब नहीं समझ पाते। असली शिक्षा को छोडकर सब दिखावा करने लगे हे। दिखावटी शिक्षा के मायने भी इतने ज्यादा हो गये हे की हम वास्तविक भारतीय पहलुओ को तुच्छ मानने लगे हे। भारत को महान संस्कारों की वजह से जाना जाता था। परन्तु वो संस्कार आजकल जैसे लुप्त हो ही गये हे। हाँ गांवों में जरुर अभी संस्कार बचे हुए हे, परन्तु वह भी दिखावटी शिक्षा की वजह मरणासन्न स्थिति में हे। संयुक्त परिवार जैसी प्रथा अब ख़त्म हो चुकी हे। रिश्तो में पहले वाली बाते नहीं रही।

स्वतंत्रता दिवस आज के समय में

देखो भाई, आज कल का जमाना ऑनलाइन का जमाना हे। आजकल ज्यादातर लोग स्वतंत्रता दिवस को सोशल साइट्स पर मानते हे। 3 4 दिन पहले इनके सिर देशभक्ति सिर चढ़ कर बोलती हे। देशभक्ति वाली प्रोफाइल पिक्चर्स लगाई जाती हे। मैसेजिंग एप्लीकेशन में देशभक्ति वाले मेसेज शेयर किये जाते हे। देशभक्ति गाने सुनना शुरू कर देते हे। और यही देशभक्ति 5वें दिन नदारद हो जाती हे। जो फिर 26 जनवरी के आस-पास दिखाई देती हे।

देशभक्ति आज के समय में

देशभक्ति शब्द ही सुनने में बहुत बड़ा लगता हे। परन्तु ये कोई राकेट साइंस नहीं हें। देश आपसे ज्यादा कुछ नहीं चाहता। और कहा भी जाता हे की कोई शक्ति आती हे तो उसके साथ जिम्मेदारियाँ भी आती हे। आज कुछ छोटी-मोटी जिम्मेदारियाँ निभा लेना ही देश के लिए बहुत कुछ करना हो जायेगा। कुछ ऐसी जिम्मेदारियां यहाँ दी जा रही हें।

  • खुद और आस-पास की सफाई रखना
  • कुछ भी खरीदो तो उसका बिल लेना
  • स्वदेशी समान खरीदना, अगर उपलब्ध नहीं तो विदेशी समान खरीद लो। पर कोशिश यही रहे की स्वदेशी चीजे ज्यादा उपयोग करो
  • बिजली की बचत करे
  • साल में कुछ पोधे जरुर लगाये या स्कूल आदि में दान करे
  • अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान दें, संस्कारों के बारे में बताये

ऐसे ही छोटे-मोटे काम करके आप देश की बहुत मदद कर सकते हो।

वैसे स्वतंत्रता दिवस आ रहा हे तो इस बार कोई ऐसी जिम्मेदारी वाला प्राण जरुर ले। जैसे की स्वदेशी बने। बिल लेना और भी बहुत कुछ। तो आप भी मन ही मन खुश होवोगे की देश के लिए आप कुछ कर रहे हे।