पंचतंत्र साहित्य की उन गिनी चुनी कृतियों में से एक हे, जिसे विश्व के हर कोने में पढ़ा-समझा सराहा गया। पं. विष्णु शर्मा रचित इस मूल संस्कृत ग्रन्थ का अब तक 50 से भी अधिक भाषाओ में अनुवाद हो चूका हे, जो इस कथा संग्रह की लोकप्रियता का जीवंत प्रमाण हे।

अनुमान किया जाता हे की पंचतंत्र के मूल संस्कृत ग्रन्थ की रचना आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व हुई थी। इसं कथाओ की सबसे बड़ी विशेषता यह हे कि इसके सभी पात्र पशु-पक्षी हैं और उनके द्वारा कही गई कहानियाँ पाठको के मन पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ जाती हें। पंचतंत्र की हर कहानी कुछ न कुछ शिक्षा देती ही हे। इसलिए बच्चो को पंचतंत्र से अवगत करवाना हर भारतीय अविभावक का फर्ज बनता हे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर हमने इस कहानियों को आप तक पहुचाने की कोशिश की हैं। यह कहानियाँ पुस्तक से ली गई हे, और हमारा उद्देश्य इन कहानियों को ज्यादा से ज्यादा पाठको पहुचाने मात्र हे।

panchtantra ki kahaniya

आदत आसानी से नहीं छुटती- पंचतंत्र कहानी

किसी नगर में एक धोबी रहता था. कपड़े धोनी में उसका कोई सानी नहीं था. लेकिन वह अपने गधे के साथ बहुत बुरा बर्ताव...
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गर्दभ राग- पंचतंत्र कहानी

रामदीन धोबी के पास एक गधा था. वह दिनभर उस गधे से जी-तोड़ काम लेता और शाम को उसे खुला छोड़ देता ताकि वह...
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झूंठ के पांव नहीं होते – पंचतंत्र कहानियाँ

किसी गांव में दिनू नामक एक लोहार अपने परिवार के साथ रहता था. उसक एक पुत्र था, जिसका नाम शामू था. जैसे-जैसे शामू बड़ा...
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जैसे को तैसा – पंचतंत्र कहानियाँ

वर्षा ऋतु के दिन थे. कोसलगढ़ में एक दरिद्र ब्राह्मण अपनी पत्नी दुलारी के साथ किसी प्रकार जीवनयापन कर रहा था. गरीबी में दिन...
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लालची सास -पंचतंत्र कहानियाँ

पहाड़ी की तलहटी में बना एक सुंदर गांव था. जैसा सुंदर वह गांव था, वैसा ही सुंदर उस गांव का नाम था- सुंदरपुर! गांव...
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बिना विचारे जो करे -पंचतंत्र कहनियाँ

एक सुंदर सुरम्य झील में बहुत से जलचर बड़े ही प्रेमभाव से रहते थे. उन्हीं में एक केकड़ा और सारस भी थे. दोनों में...
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कुता या बकरी- पंचतंत्र कहानी

पंडित रामशंकर यजमानी करके दुसरे गांव से अपने घर की और लौट रहा था. वह बहुत प्रसन्न था क्योंकि दक्षिणा में उसे बकरी मिली...
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एकता में बल है- पंचतंत्र कहानी

समुद्र के किनारे एक टिटहरी दंपति रहता था. समय बीतने पर जब टिटहरी ने गर्भधारण किया तो उसने अपने पति से कोई सुरक्षित स्थान...
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दानी का धन बढ़ता है- पंचतंत्र कहानी

शामगढ़ नगर का निवासी सोमिलक जुलाहा बहुत ही कुशल शिल्पी था. वह राजाओं के पहनने योग्य अनेक सुंदर, चित्र-विचित्र पर बहुमूल्य रेशमी वस्त्र बुना...
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खरगोश की चतुराई – पंचतंत्र कहानी

एक वन में भासुरक नामक सिंह रहता था. वह अपनी शक्ति के मन्द में प्रतिदिन वन के अनेक पशुओं का वध कर दिया करता...
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जैसी करनी वैसी भरनी – पंचतंत्र कहानी

सेठ धरमदास धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति था. बड़े-बड़े महात्मा और ज्ञानी पुरुषों के संपर्क में रहने के कारण एक महात्मा ने सेठजी से कहा,...
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अपने हुए पराये – पंचतंत्र कहानी

एक घने जंगल में चण्डरव नामक गीदड़ रहता था. एक दिन वह भूख से व्याकुल होकर नगर में घुसा तो वहां कुतों ने उस...
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लालच बुरी बला – पंचतंत्र कहानी

गोदावरी नदी के किनारे पर बसे घने जंगल में एक बहेलिए ने अपना जाल फैलाकर उसके चारों और चावल बिखेर दिए तथा स्वयं चुपचाप...
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बुद्धि सबसे बड़ा बल – पंचतंत्र कहानी

किसी वन में हाथियों के झुंड के साथ उनका मुखिया चतुर्दन्त रहता था. एक बार बस वन में कई वर्षों तक वर्षा का अभाव...
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आदत से लाचार- पंचतंत्र की कहानी

तुगलकनगर के राजा के भवन का शयनकक्ष अत्यंत सुंदर तह. राजा के प्रतिदिन के इस्तेमाल में आनेवाले वस्त्रों में एक जूं रहती थी. वह...
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सेवक का प्रतिशोध – पंचतंत्र कहानी

वर्धमान नगर में आभूषणों का एक व्यापारी दंतिल सेठ रहता था. उसने अपने लोकहित के कार्यो से राज्य की पूरी प्रजा का मन मोह...
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नीतिवान संन्यासी- पंचतंत्र कहानी

­­­हिरण्यक नामक चूहे और लघुपतनक नामक कौवे में प्रगाढ़ मित्रता थी. हिरण्यक के लिए लघुपतनक हर रोज कहीं-न-कहीं से बढ़िया पदार्थ लाता. इस तरह...
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भाग्य का खेल – पंचतंत्र कहानी

चंद्रिका नगर के निवासी लालाराम नामाक बनिये का लड़का सौ रुपये मुल्यवाली एक पुस्तक खरीद लाया. उस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा था...
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चोर का बलिदान – पंचतंत्र कहानी

किसी नगर में एक सुशिक्षित ब्राहमण कुसंस्कारों के कारण चोरी करने लगा था. एक बार उस नगर में व्यापार करने के लिए चार सेठ...
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नीयत में खोट – पंचतंत्र कहानी

एक नगर में जीर्णधन नामक एक दरिद्र बनिया रहता था. उसका कोई व्यापार या धंधा नहीं था. जिसकी वजह से उसकी आर्थिक दशा काफी...
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सत्य की विजय – पंचतंत्र कहानी

हिम्मतनगर में धर्मबुद्धि और कुबुद्धि मानक दो मित्र रहते थे. एक दिन कुबुद्धि ने सोचा कि मैं मुरका होने के साथ दरिद्र भी हूं,...
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चालाक भेड़िया – पंचतंत्र कहानी

किसी वन में वज्रद्रंष्ट्र नामक एक शेर रहता था. चतुरक और क्रव्यमुख नामक सियार और भेड़िया उसके बड़े ही आज्ञाकारी सेवक थे. एक दिन...
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संगठन में ही शक्ति हैं – पंचतंत्र कहानी

जंगल में स्थित एक वृक्ष पर घोंसला बनाकर चिड़ियों का एक जोड़ा सुखपूर्वक रहता था. चिड़िया ने अंडे दिए थे और अंडों पर बैठकर...
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यक्ष का वरदान – पंचतंत्र कहानी

मिथिला नगर में मनसुख नामक एक जुलाहा रहता था. एक दिन काम करते समय उसके औजार टूट गए. इसलिए वह अच्छी लकड़ी लाने के...
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प्रतिशोध की ज्वाला – पंचतंत्र कहानी

रत्नापुरी के राजा चन्द्रभान के बेटे वानरों के साथ खेलने मे काफी रूचि रखते थे. इसलिए राजा के सेवक राजकुमारों की प्रसन्नता के लिए...
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लोभी ब्राह्मण – पंचतंत्र कहानी

पाटलीपुत्र नगर में चार ब्राह्मण रहते थे. वह चारों आपस में परममित्र थे. लेकिन उन चारों का दुर्भाग्य यह था कि वे निर्धन थे....
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धूर्त ब्राह्मणी – पंचतंत्र कहानी

ब्रह्मपुर नगर के निवासी एक ब्राह्मण की पत्नी इतनी अधिक झगड़ालू थी कि प्रतिदिन उसके कारण ब्राह्मण को अपने बंधु-बान्धवों से भला-बुरा सुनना पड़ता...
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बुरे फंसे – पंचतंत्र कहानी

एक कुएं में गंगादत्त नामक मेंढकों का राजा रहता था। एक दिन वह अपने परिवार के लोगों से लड़-झगड़कर कुएं से बाहर निकल आया...
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छलिया सर्प – पंचतंत्र कहानी

विन्ध्याचल के पश्चिमी क्षेत्र में मन्दविष नामक एक सर्प रहता था। जो समय बीतने पर वृद्ध होने के साथ-साथ शक्तिहीन भी हो गया था।...
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चतुर गीदड़ – पंचतंत्र कहानी

किसी वन में खरनखर नामक एक शेर रहता था। वह काफी बुढा और कमजोर हो गया था। वह शिकार करने में भी असमर्थ हो...
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अनमोल चिड़िया – पंचतंत्र कहानी

चारों और पहाडो से घिरा हुआ एक वन था। उस वन में पीपल का एक वृक्ष भी था। उस वृक्ष पर एक विचित्र चिड़िया...
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चुहिया और मुनिराज – पंचतंत्र कहानी

पावन सलिला गंगा तट पर वीतरागी तपोधन महात्मा रहते थे। वह प्रतिदिन बहुत सवेरे उठकर स्वच्छ, निर्मल और पवित्र गंगाजल में स्नान करते और...
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आंखोंवाला अंधा – पंचतंत्र कहानी

चित्रनगर में वीरवर नामक एक रथकार रहता था। वह सीधा-सादा और व्यवहार-कुशल था। वह जितना भोला था, उसकी पत्नी कामदमनी उतनी ही दुष्ट और...
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भाग्य की प्रबलता – पंचतंत्र कहानी

कान्तिनगर के राजा देव्शाक्ति  के शासन में प्रजा खुशहाल और सम्पम्न थी। लकिन राजा काफी दुखी था क्योंकि उसके नन्हे और मासूम बेटे के...
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संतोषी सदा सुखी – पंचतंत्र कहानी

किसी नगर मे हरीदत नामक एक ब्राह्मण परिवार सहित निवास करता था। वह मन लगाकर अपने खेत मे काम करता, परन्तु फिर भी उसे...
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चोर चोर मौसेरे भाई – पंचतंत्र कहानी

द्वापर नगर मे द्रोण नामक एक दरिद्र ब्राह्मण रहता था। दरिद्रता अपने आप में किसी अभिशाप से कम नहीं होती। आधे पेट खाकर रहना...
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अनोखा अतिथि सत्कार – पंचतंत्र कहानी

अतिथि को भगवान का स्वरूप मानकर उसकी सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने में भी संकोच नहीं करना चाहिए। यही गृहस्थ का कर्तव्य है। अतिथि चाहे शत्रु ही क्यों न हो, उसकी सेवा करने से मोक्ष की प्राप्ति संभव हे। कबुतर-कबूतरी ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी आतिथ्य-धर्मं का पालन किया और देवकृपा के भागी बने।