
अल्फ्रेड बर्नहार्ट नोबेल
जन्म:1833 | मृत्यु:1896
अल्फ्रेड नोबेल एक खोजकर्ता वैज्ञानिक थे और डायनामाइट (बारूद) का आविष्कार करके उन्होंने कई समस्याओं का समाधान प्रतुस्त कर दिया था। परन्तु उन्होंने सदैव डायनामाइट के शांतिपूर्ण प्रयोग पर ही बल दिया। अल्फ्रेड नोबेल डायनामाइट का आविष्कार संयोग से ही कर बैठे थे। वे अपनी प्रयोगशाला में नाइट्रोग्लिसरीन नामक अत्यधिक विस्फोटक द्रव तैयार कर रहे थे जो जरा से झटके से भी फूट सकता था। अचानक उनके फ्लास्क से थोडा-सा द्रव निचे गिर पड़ा। परन्तु देवयोग से फर्श पर न गिरकर एक विशेष प्रकार की मिट्टी से भरे पात्र में गिरा। नोबेल को लगा कि मिट्टी ने द्रव को सोख लिया और एक गाढ़ा घोल बन गया है। बड़ी सावधानी से उन्होंने थोडा सा घोल उठा कर एक गोली बनाई, प्रयोगशाला से बाहर गए और आग लगा दी। इससे गोली में भयानक विस्फोट हुआ और नोबेल को नाइट्रोग्लिसरीन को सुरक्षित रूप से सँभालने, रखने की विधि मालूम हो गई। उन्होंने इसे “डायनामाइट” नाम दिया।
विज्ञान के लिये उन्होंने बहुत परिश्रम किया। जिसके लिए उन्हें ‘स्वीडिश नार्थ स्टार’, ‘फ्रेंच आर्डर’ आदि उपाधियो से सम्मानित किया गया। 1890 में उन्होंने अपनी ‘महान’ वसीयत लिखी जिसके अनुसार, प्रतिवर्ष विज्ञान, साहित्य तथा विश्व शांति आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पांच प्रतिभाशाली व्यक्तियों को पुरस्कार दिए जाते है। आज ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त करना विश्व का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है।
नोबेल का जन्म स्टाकहोम (स्वीडन) में हुआ था। बचपन में वह काफी भावुक एवं सवेंदनशील थे। अपने पिता और प्रसिद्ध वैज्ञानिक जॉन एरिक्सन के साथ रहकर उन्होंने नौसेना सम्बन्धी ज्ञान भी अर्जित किया था। नोबेल आजीवन अविवाहित रहे। सैनरेमो (इटली) में 63 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।