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डॉ होमी जहांगीर भाभा
जन्म : 30 अक्टूबर, 1909 | मृत्यु : 24 जनवरी, 1966
भारत के लिए अणु शक्ति का विकास करने वाले होमी जहांगीर 1948 में ‘परमाणु-उर्जा आयोग (Atomic Energy Commission) व अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। उन्हीं के प्रयत्नों से ट्राम्बे में देश का पहला परमाणु अनुसंधान केन्द्र स्थापित हुआ तथा 1956 में भारत की प्रथम परमाणु भट्टी ‘अप्सरा’ चालू हुए।
डॉ होमी जहांगीर भाभा पहले छात्र और फिर वैज्ञानिक के रूप में सदेव अपनी विलक्षण प्रतिभा का विस्तार करते रहे। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (इंग्लॅण्ड से उन्होने गणित, भौतिकी आदि की के परीक्षायें उच्च अंकों से पास कीं। वही से पी-एचडी की उपाधि प्राप्त हुए। अपने शिक्षाकाल में उन्होने विधुत, चुम्बक क्वान्टम सिद्धांत (quantam theory) एवं कॉस्मिक किरणों (casmic rays) के संबंद में मौलिक खोजे कीं। 1942 में उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविधालय का एडम पुरस्कार प्राप्त हुआ। 32 वर्ष की अल्पायु में ही वे लन्दन की रॉयल सोसाइटी के फेलो चुने गये। 1951 में वे ‘भारतीय विज्ञान कांग्रेस’ के अध्यक्ष रहे। 1955 में जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग से संबधित सम्मेलन के वे अध्यक्ष चुने गये। इसमें उन्होंने नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear power) के प्रसार पर परिबंध लगाने तथा परमाणु बमों को गैर क़ानूनी घोषित करने की जोरदार वकालत की। इसी बिच उन्होंने 1948 में ‘होपकिंस’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1954 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पदमभूषण’ प्रदान किया। 1945-1961 तक वे भारत की अणु शक्ति के विकास के लिये प्रयत्नशील रहे। 1945 में उन्होंने टाटा मौलिक अनुसन्धान केंद्र (Tata Institute of Fundamental Research) की स्थापना की।
होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को बम्बई के एक शिक्षित तथा संपन्न पारसी परिवार में हुआ था तथा 24 जनवरी, 1966 को एक विमान दुर्घटना मैं उनका असामयिक निधन हो गया।