
विल्हेम कोनरड रॉटेजन
जन्म: 1845 | मृत्यु: 1923
एक्स किरणों के अन्वेषक रॉटेजन को विश्व में मुख्यतः दो कारणों से जाना जाता है- एक तो एक्स-किरणों के आविष्कारक के रूप में और दुसरे 1901 में भौतिकी का पहला ‘नोबेल पुरस्कार’ विजेता होने के कारण। 1895 में एक प्रयोग के दौरान उन्होंने अकस्मात् ही इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगो (electro-magnetic waves) की खोज कर डाली थी जिसे उन्होंने एक्स-रे (x-rays) नाम दिया। इस आविष्कार ने चिकित्सा एवं भौतिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिये। इसी खोज के लिए उन्हें 1901 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। इस खोजपूर्ण कार्य के लिए उन्हें अन्य अनेक सम्मान भी दिये जाने वाले थे किन्तु उन्होंने उन्हें लेने से इंकार कर दिया। एक्स-किरणें आज भी अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रही हैं।
रॉटेजन ने द्वि-ध्रुवों के घूर्णन के चुम्बकीय प्रभावों और क्रिस्टलों में विद्युत घटना पर प्रयोग किये थे। एक्स किरण की खोज विज्ञान की एक महत्वपूर्ण देन है, इसके लिए विश्वभर के लोग उनके सदा आभारी रहेंगे।
रॉटेजन का जन्म जर्मनी में हुआ था। उनकी मां डच एवं पिता एक जर्मन किसान थे। हौलैंड और स्वीटजरलैंड में उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण हुए। ज्यूरिख यूनिवर्सिटी से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। अपने जीवन के अंतिम दिन उन्होंने म्यूनिख में बिताए जहां लगभग 78 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।