
मदर टेरेसा
जन्म: 27 अगस्त 1910 | मृत्यु: 5 सितम्बर 1997
अपनी निस्वार्थ सेवा और करुणा से मदर टेरेसा ने सिर्फ भारतीयों के मन में ही अपना स्थान नहीं बनाया, उन्होनें समूचे विश्व के हृदय को भी जीत लिया। वे 6 जनवरी 1929 को युगोस्लाविया से भारत आयी। उन्होंने कलकत्ता को अपनी कार्यस्थली बनाया। अपने उद्देश्य के लिए उन्होंने ‘मिशनरीज ऑफ़ चेरिटी (सिस्टर्स)’, ‘निर्मल हृदय (बीमार और मृत्यु के नजदीक लोगो के लिए), मानसिक और शारीरिक रूप से असमर्थ बच्चों के लिए (शिशु भवन) जैसी संस्थओं की स्थापना की।
मानवता के लिए किये गये अपने कार्यो के लिए मदर टेरेसा को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया, जिनमे से प्रमुख है:
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मदर टेरेसा नोबेल शांति पुरस्कार (1997)
- भारत रत्न (1980)
- जवाहरलाल नेहरु अवार्ड फॉर इंटरनेशनल पीस (1972)
- रामन मैग्सेसे पुरस्कार (1962)
- पॉप जॉन XXIII शांति पुरस्कार (1971)
- आर्डर ऑफ़ मेरिट (1983)
- राजीव गाँधी सद्भावना पुरस्कार (1993)
मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त, 1910 को युगोस्लाविया में हुआ था। उनका असली नाम था- एग्नेस गोनक्सा बोजक्स्हिऊ (Anjezë Gonxhe Bojaxhiu)। उनके पिता एक साधारण व्यवसायी थे। ‘नन’ बनने के बाद उनका नाम बदलकर टेरेसा हो गया। 1925 में युगोस्लाविया की इसाई मिशनरियो का एक दल सेवा कार्य हेतु भारत आया। उसने यहाँ की गरीबी और कष्टों के बारे में अपने देश को एक ख़त लिखा, जिसमे सहायता की मांग की गयी थी। पत्र को पढकर एग्नेस स्वंय को रोक न सकीं और भारत आ गयीं। और यहीं की होकर रह गयी। मदर टेरेसा ने ‘भ्रूण हत्या’ के विरोध में विश्व के सामने अपना रोष प्रकट किया। उन्होंने फूटपाथों पर पड़े हुए रोते-सिसकते रोगियों अथवा मरन्नासन्न असहाय व्यक्तियों को उठाया और अपने सेवा केन्द्रों में उनका उपचार कर स्वस्थ बनाया, या कम-से-कम उनके अंतिम समय को शांतिपूर्ण बना दिया। उन्होनें मानवता व उसकी शांति के लिए आजीवन स्वयं को समर्पित रखा। 5 सितम्बर, 1997 की रात्रि 9.30 बजे करुणामयी मदर सदा-सदा के लिया इस संसार से विदा हो गयीं।