पंचतंत्र

panchtantra ki kahaniya

अनमोल चिड़िया – पंचतंत्र कहानी

चारों और पहाडो से घिरा हुआ एक वन था। उस वन में पीपल का एक वृक्ष भी था। उस वृक्ष पर एक विचित्र चिड़िया...
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चुहिया और मुनिराज – पंचतंत्र कहानी

पावन सलिला गंगा तट पर वीतरागी तपोधन महात्मा रहते थे। वह प्रतिदिन बहुत सवेरे उठकर स्वच्छ, निर्मल और पवित्र गंगाजल में स्नान करते और...
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आंखोंवाला अंधा – पंचतंत्र कहानी

चित्रनगर में वीरवर नामक एक रथकार रहता था। वह सीधा-सादा और व्यवहार-कुशल था। वह जितना भोला था, उसकी पत्नी कामदमनी उतनी ही दुष्ट और...
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भाग्य की प्रबलता – पंचतंत्र कहानी

कान्तिनगर के राजा देव्शाक्ति  के शासन में प्रजा खुशहाल और सम्पम्न थी। लकिन राजा काफी दुखी था क्योंकि उसके नन्हे और मासूम बेटे के...
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संतोषी सदा सुखी – पंचतंत्र कहानी

किसी नगर मे हरीदत नामक एक ब्राह्मण परिवार सहित निवास करता था। वह मन लगाकर अपने खेत मे काम करता, परन्तु फिर भी उसे...
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चोर चोर मौसेरे भाई – पंचतंत्र कहानी

द्वापर नगर मे द्रोण नामक एक दरिद्र ब्राह्मण रहता था। दरिद्रता अपने आप में किसी अभिशाप से कम नहीं होती। आधे पेट खाकर रहना...
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अनोखा अतिथि सत्कार – पंचतंत्र कहानी

अतिथि को भगवान का स्वरूप मानकर उसकी सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने में भी संकोच नहीं करना चाहिए। यही गृहस्थ का कर्तव्य है। अतिथि चाहे शत्रु ही क्यों न हो, उसकी सेवा करने से मोक्ष की प्राप्ति संभव हे। कबुतर-कबूतरी ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी आतिथ्य-धर्मं का पालन किया और देवकृपा के भागी बने।